ज्ञान ही प्रयाप्त नहीं है जीवन में
व्यवहार हमारा तय करता है
कौन कितना योग्य है जीवन में
मानवता पर विश्वास नहीं है
ज्ञान बांटे फिरते हैं इस जीवन में
व्यावहारिकता से नाता नहीं है
सिद्धांत सीखते हैं इस जीवन में
मेरा मेरा करते जब प्राण निकलता है
तब कुछ नहीं रहता जीवन में
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